The Hero Rises – नायक का उदय (उत्पत्ती 37 : 1-2) Hindi Bible Study
मैने इसकी शुरुवात एक साधारण विचार से कि थी | कुछ महिने पहले मैने पुराने नियम मे युसूफ के जीवन का अध्ययन करणे का फैसला लिया | मैं सोच राही थी कि यह कैसे होगा? मैं सोच रही थी कि क्या मैं थक जाऊंगी? क्या मैं इस कहानी से उब जाऊंगी? मगर वास्तव मैं ये सफर बडा रोमांचक था | hindi bible study मे हम युसूफ का नायक के रूप मे उदय (The Hero Rises) देखेंगे |
युसूफ हर मौसम का आदमी :
इसका उत्तर मै खुद ही दे सकती हूं | मै ये बताते हुए कभी नही थकुंगी कि कैसे युसूफ के भाईयों ने उसे धोखा दिया, और एक बुरी नजर वाली पत्नी द्वारा झुटे आरोप कि दिलचस्प कहानी, झुटे आरोप और अन्यायपूर्ण करावासा कि दुःखद गाथा, और युसूफ ने जैल मै जो लंबी अकेली राते बिताई और जैल से महल तक कि वह अप्रत्याशीत यात्रा, कैसे उसने अपने भाईयों कि परीक्षा ली, और कैसे सब अंत मै ठीक हो गया | क्यूकी जैसा कि उसने अपने भाईयों से कहा, जिन्होने उसे धोका दिया था, उसने अपने विश्वास घाती भाईयों से कहा था, ” तुमने मेरे विरुद्ध बुराई कि युक्ती कि थी, परंतू परमेश्वर ने भलाई कि युक्ती कि ” ( उत्पत्ती 50 : 20)|
जब जेम्स बोईस ने उत्पत्ती कि इस भाग कि, व्याख्या प्रकाशित कि तो उन्होने युसूफ को ” हर समय का व्यक्ती ” कहा | यह एक एसे व्यक्ती केंलीये उपयुक्त शीर्षक लगता हैं जो सारे विविध अनुभवो से गुजरा हो |
उसे चुना गया और अस्वीकार कर दिया गया | उससे प्रेम भी किया गया और घृणा भी उसके साथ पक्षपात किया गया और दुरव्यावहार किया गया | उसके साथ विश्वास घात किया गया और उसे बचा लिया गया | उसे पदोन्नत किया गया और जेल मै डाल दिया गया | उसका परीक्षण किया गया और उसे पुरस्कृत किया गया | उसकी निंदा कि गयी और प्रशंसा भी कि गयी |
युसूफ ने कभी भी प्रभू से अपनी नजरे नही हटाई :
क्या कभी उसने कभी अपनी नजरे प्रभू से हटाई? विपत्ती ने उसे कठोर नही बनाया | समृद्धी ने उसे बरबाद नही किया | प्रलोभन ने उसे नष्ट नही किया | कारावास ने उसे कटू नही बनाया | पदोनत्ती ने उसे बदला नही | वह सचमुच एक महान व्यक्ती था |
युसूफ कि कहानी :
वह अपने पिता याकूब का प्रिय पुत्र था | जब वह बायबल के चरण इतिहास मे प्रवेश करता हैं, तब वह 17 वर्ष का होता हैं | क्यूकी उसके भाई उससे नफरत करते थे, इसलिये उसे गुलाम के रूप मै बेच दिया गया और मिस्त्र ले जाया गया बलात्कार का झुटा आरोप लगाने के बाद, उसे जेल मे डाल दिया गया और बाहर निकलने कि कोई उम्मीद नही थी | क्यूकी उसने फिरोना के सपने कि सही व्याख्या कि थी, इसलिये वह मिस्त्र का प्रधानमंत्री बन गया | आखिरकार उसने अपने परिवार का मिस्त्र मे स्वागत किया जिसने उसके परदादा अब्राहम के साथ शुरु हुई प्रतिज्ञा कि परंपरा को बारकरार रखा |
युसूफ कि कहानी उत्पत्ती और निर्गमन के बीच कि कडी हैं :
सारांश तो केवलं उस नाटकीयता कि और संकेत करता हैं जो उसके जीवन को घेरे हुए थी | उनके जीवन को परिपेक्ष मे राखणे का एक और तरिका हैं | यदी आप चार घटना और चार व्यक्तींयो को जानते हैं, तो आप उत्पत्ती कि मूल संरचना को जानते हैं |
उत्पत्ती 1 – 11 मे चार महान घटनाओ का वर्णन हैं :
निर्माण
गिरना
बाढ
टावर
समृद्धी ने उसे बरबाद नही किया :
उन ग्यारंह अध्ययकी हर बात उन चार घटनाओ से संबंधित हो सकती हैं |
उत्पत्ती 12 से शुरु होकर, कहानी चार महान पुरुषो परं केंद्रित हैं :
अब्राहम
इसहाक
याकूब
युसूफ
उन चार लोगो मे से अब्राहम और युसूफ को सबसे जादा जगह मिली हैं | आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता हैं कि उत्पत्ती मे अब्राहम कि तुलना मे युसूफ कि कहानी जादा जगह लेती हैं | यह एक तथ्य हमे सचेत कर देता हैं कि यह कोई साधारण व्यक्ती या कोई साधारण जीवन कहानी नही हैं|युसूफ वह ” कांटा ” हैं जो उत्त्पत्ती को निर्गमन से जोडता हैं|
यदी निर्गमन हमे बताता हैं कि परमेश्वर ने अपने लोगो
कोमिस्त्र से कसे मुक्त कराया, तो युसूफ कि कहानी हमे बताती हैं कि वे वहा कैसे पहुचे |
सबक युसूफ हमे सिखाता हैं :
हलांकी युसूफ परमेश्वर का सेवक था, फिर भी उसका जीवन आसान नही था | उसकी कहानी से हमे कुछ बाते सिखनेको मिलती हैं |
युसूफ का जीवन आसान नहीं था :
निराशा के गर्त मे होनेपर भी परमेश्वर पर भरोसा रखे | प्रलोभन से कैसे निपटे? दर्दनाक अतीत से कैसे छुटकारा पाया जाये? प्रतीक्षा करते समय क्या करे? सभी चिंजो मे परमेश्वर का हाथ कैसे देखे? बुद्धिमान योजना ए कैसे बनाए? परमेश्वर कैसे एक दोषी विवेक को जगाता हैं? सच्चे पश्चचाताप के निशान| परमेश्वर के लिए कैसे जिना हैं? पुरानी कडवाहट परं काबू पाना |
उन सबको के अलावा, हमे यह भी ध्यान रखना चाहिये कि युसूफ येशू मसिह का एक उत्कृष्ट उदाहरण या चित्र हैं | पुराने टिप्पणी कारो को विशेष रूप से समानता के बिन्दुओ पर ध्यान देना पसंद था | समानता देखणे के लिए हमे दुर् तक देखणे कि जरुरत नही हैं | वह…..
अपने पिता से प्यार करता था | अपने भाईयों से नफरत और विश्वास घात | 20 चांदी के टुकडो मे बेचा गया, झुटा अपेक्ष | उसे उस अपराध का दोषी ठहराया गया जो उसने किया नही | त्याग दिया गया और भुला दिया गया, उसके कष्ट के बाद पदोन्नती हुई | यहा तक कि उन लोगो के लिया भी उद्धार का साधन बना जिन्होने उसे धोका दिया |
सभी सडके मसिह कि और जाती हैं :
जब डब्लू. एच. ग्रीफिथ थॉमस ने उत्पत्ती पर अपनी भक्तीपूर्ण टिपन्नी समाप्त कि, तो उन्होने युसूफ के जीवन का सर्वेक्षण किया और घोषणा कि कि ” युसूफ और मसिह के बीच घानिष्ठ, दीर्घकालिक और हडताली सामानताओ को देखनेसे बचना असंभव हैं “(खंड 2 पृष्ठ 214) | वह आगे कहते हैं कि ” हमारे धन्य प्रभु के इतिहास के प्रकाशमे युसूफ के जीवन पर विचार करणा हर तरह से अध्यात्मिक रूप से लाभदाई हैं | ” यह मिझे बिलकुल सही लगता हैं | क्यूकी मसिह बायबल का महान विषय हैं ; इसलिये सारे रास्ते अंथतः उसी कि और ले जाने चाहिये | युसूफ का अध्ययन करणे मे, हम उस व्यक्ती कि झलक देखेंगे, जो सदियों बाद यहुदा के एक अस्पष्ट गांव मे पैदा होगा
हेब्रोन के पास के खेतो से शुरु होकर बेथलहेम के पास के खेतो तक जाती हैं | पुराने नियम का युसूफ नेतृत्व करेगा | हमे स्वयं यह यात्रा करणे मे संकोच नही करणा चाहिए |
दो प्रमुख टिप्पनिय्या :
1) युसूफ को नही पता था कि उसकी कहाणी का अंत कैसे होगा |
हमारे सामने एक ऐसी समस्या हैं जिसका सामना युसूफ ने नही किया | हम जानते हैं कि कहानी का अंत कैसे होगा |
2) युसूफ को अपने भविष्य के बारमे कुछ पता नही था |
चाहे हम कितनी भी कोशिश करले, इसे उस अदभूत, अप्रत्याशीत सहसी कार्य के रूप मे पढणा लगभग असंभव हैं जो यह था |जब आप कहानी का अंत जानते हैं, तो आप यह समझ नही पाते कि यह सब कितना अप्रत्याशीत था |
जब युसूफ किशोर था और अपने भाइयों के साथ भेड – बकरीयों कि देखभाल करता था, तो उसे अपने भविष्य के बारे मे कितना पता था? बिलकुल नही | कुछ भी नही | कुछ भी नही |
जब उसे गढे मे फेका गया तो वह अपने भविष्य के बारे मे कितना जानता था? कुछ भी नही | जब वह पोतीपर के घर मे उठ रहा था तो उसे क्या होणे वाला था, इसके बारे मे कितना पता था? वही जवाब
जब पोतीफर कि पत्नी ने उसपर बलात्कार का झुटा आरोप लगाया था तो उसे कितना पता था? उसे बस इतना पता था कि वो इन आरोप से निर्दोष हैं |
हम अपना भविष्य नहीं जानते :
जब वह मिस्त्र कि जैल मे सड रहा था, तो उसे कितना पता था? उसे कोई अंदाजा नहीं था कि क्या होने वाला हैं |जब उसे मिस्त्र का प्रधानमंत्री बनाया गया, तो उसे परमेश्वर के उद्देश के बारे मे कितना पता था? उसने इसे बिलकुल नहीं देखा |
मे इसे इस तरह से बताती हूं | आने वाले सप्ताह मे आपके साथ क्या होने वाला हैं, इसके बारेमे आप कितना निश्चित रूप से जानते हैं |? बेशक आपके पास अपनी योजनाए हैं
, लेकिन उन्हे बदला जा सकता हैं | आपको कक्षाओ मे भाग लेना हैं, कॉल करणे हैं, लोगो से मिलना हैं अपॉइंटमेंट रखने हैं ,पेपर लिखने हैं, योजनाए बनानी हैं, विचारो पर चर्चा करणी हैं और आपको निर्णय लेने हैं | लेकिन यह सब आपके नियंत्रण के परे परिस्तिथीयों पर निर्भर करता हैं |
एक फोन कॉल से जिंदगी बदल सकती हैं :
छोटा, नाजूक और अनिश्चित कोई नही जानता कि कल कहा लेकर जायेगा | हम यसूफ कि कहानी से बहोत कुछ हासील कर सकते हैं, अगर हम उसे उसी तरह से पढे जिस तरह से उसने जिया – भविष्य के बारमे कोई स्पष्ट विचार नही, उसे मार्गदर्शन देणे के लिए कोई बडी तस्वीर नही, कोई ” सुखद अंत ” नही | संक्षेप मे, हमे युसूफ के जीवन को उसी तरह से पढना चाहिए जिस तरह हम अपना जीवन जिते हैं – एक दिन एक बार |
और यह बात मुझे मुख्य बिंदू कि और ले जाता हैं |
परमेश्वर ही कहानी का नायक हैं :
एक स्तर पर हम निश्चित रूप से यह जानते हैं कि यह सच हैं | युसूफ ने भी यही कहा जब उसने अपने भाईयों से कहा कि परमेश्वर ने इसे भलाई के लिए किया था | युसूफ के जीवन के सभी उतार – चढाओ के दौरान, हर एक घटना के माध्यम से एक ” अदृश्य हात ” काम कर रहा था ताकी वांछीत परिणाम प्राप्त हो सके,जिसे युसूफ खुद तब तक नही देख पाया कि जब तक वो अंत तक नही पहुच गया |
अगर हम पढते हैं “परमेश्वर ही कहानी का नायक हैं ” | अगर हम युसूफ कि कहानी को ध्यान से पढे | और सभी चिजो पर परमेश्वर कि कृपा के लिए नई प्रशंसा न पाए, तो हम निश्चित रूप से मुद्दे से चूक गये हैं | हालाकी इस कहानी से कई महत्व पूर्ण सबक सिखे जा सकते हैं | लेकिन सबसे बढकर युसूफ कि कहानी हमे परमेश्वर कि और ईशारा करती हैं | उसकी कहानी यह साबित करती हैं कि वह एक उदास नियती के पीछे एक मुस्कुराहता हुआ चेहरा छुपाता हैं |
हमे बडे परमेश्वर कि आवश्यकता हैं :
जब आपके भाईयों ने आपको धोका दिया हो तो छोटा ईश्वर काम नहीं करेगा, जब आप पर बलात्कार का झुटा आरोप लागाया गया हो तो कोई ” मध्यम ईश्वर ” आपको सहारा देणे के लिए पर्याप्त नही होगा| जब आपको जेल मे भुला दिया गया हो तो कोई “औसत ईश्वर ” भी आपको सहारा नही दे सकेगा |
एक “मध्यम परमेश्वर “हमारी मदत नही कर सकता :
आपको एक ऐसे परमेश्वर कि जरुरत हैं जिसके तरिके समझ से परे विशाल हो | आपको ऐसे परमेश्वर कि जरुरत हैंजिसके उद्देश पिढीयो तक फैले हो | आपको एक ऐसे परमेश्वर कि आवश्यकता हैं जिसे बुरे लोगो के बुरे कर्मो से रोका ना जा सके | हमारा भी एक ऐसा ही परमेश्वर हैं | युसूफ का परमेश्वर हमारा भी परमेश्वर हैं |
युसूफ का परमेश्वर हमारा भी परमेश्वर हैं :
अपने पंखो कि लंबाई पर नजर डाले | खडे हो जाए और अपनी बॉहो को जितना हो सके उतना फैलाए| फिर कहो मुझे एक बडे परमेश्वर कि जरुरत हैं | “अछी खबर ” तुम्हे एक मिल गया हैं | वह बायबल का परमेश्वर हैं |
पारिवारिक व्यवसाय मे काम करणा
युसूफ कि कहानी इस प्रकार शुरु होती हैं :
याकूब उसी देश मे रहता था, जहाँ उसका पिता रहता था, यानी कनान देश | यह याकूब के वंश का विवरण हैं | सत्रह वर्षीय युवक युसूफ अपने भाइयों के साथ भेड – बकरीयों कि देखभाल कर रहा था (वचन1-2) |.
बिना किसी अन्य परिचय के, युसूफ बायबल के इतिहास के मंच पर कदम रखता हैं,| इस बिंदू पर हम उसके बारे मे केवलं तीन बाते जानते हैं |
वह किशोर हैं, वह पारिवारिक व्यवसाय मे काम कर रहा हैं, उसे अपने भविष्य के बारे मे कुछ भी पता नही |
मुझे लगता हैं कि अगर हमने युसूफ से उसके करियर कि योजनाओ के बारे मे पूछा होता, तो वह शायद कहता “मे अपने पिता और अपने दादा और अपने परदादा कि तरह चरवाह बनने जा रहा हूं | ” आखिरकार यह पारिवारिक व्यवसाय था | जाहीर हैं अब्राहम और इसहाक और याकूब ने इसमे बहुत अच्छा प्रदर्शन किया थ | इसलिये हम ए उमीद करेंगे कि युसूफ को यह पता चल जाये कि उसका भविष्य क्या होगा | भविष्य मे भेडे शामिल होंगी |
लेकिन परमेश्वर कि कुछ और ही योजनाए थी | इस कहानी के समाप्त होने से पहले युसूफ मिस्त्र का प्रधानमंत्री बन जायेगा | लेकिन आप यह उस दिन नही बता सकते थे, जब वह अपने भाईयों के साथ भेड – बकरीयों कि देखभाल करने के लिए बाहर गया था |
बिखरे हुए धागे :
कहानी कि शुरुवात मे, उसके जीवन के धागे सभी दिशाओ मे बिखरे हुए हैं | बाद मे ही भव्य योजना स्पष्ट हो पाएगी| लेकिन यह स्पष्ट हैं कि युसूफ को उसके भाग्य के लिए परमेश्वर द्वारा बहुत पहले से ही तैयार किया जा रहा था, जब उसे इसका एहसास भी नही था |
उसे अपने पूर्वजोसे विरासत मे मिला :
उसमे अब्राह्म कि गरिमा और क्षमता थी, इसहाक कि पवित्रता और आत्म – समर्पण कि शक्ती थी, याकूब कि चतुराई और उत्साह और दृढता थी | अपने माँ के परिवार से उसे व्यगतीगत सुंदरता, हास्य और प्रबंधन मिला |
हालँकी परमेश्वर ने युसूफ के जन्म से बहुत पहले ही उसके लिए रस्ता तैयार कर दिया था | लेकिन उसे जीवन मे अपने बुलावे को समझ ने मे काफी समय लगा | लेकिन जब उसने ऐसा किया, तो उसने अपने परिवार को बचाया और इतिहास कि दिशा बदल दि | फिलहाल वह सतरह साल का हैं, पारिवारिक व्यवसाय मे काम कर रहा हैं, उसे उन घटनाओ के बारे मे कोई जानकारी नही हैं जो सामने आने वाली हैं |
युसूफ हमेशा अपने पैरो पर खडा रहता हैं :
तो फिर, जब हम युवक कि कहानी के माध्यम से अपनी यात्रा शुरु करते हैं तो हम उसके बारे मे क्या कहेंगे?
युसूफ हमारे सामने एक ऐसे ही व्यक्ती के रूप मे खडा हैं जिसका जीवन उथलं – पुथल से भरा था | यह उसके जीवन मे शुरु हूंआ और कभी नही रुका | इन सब के बीच वह, परमेश्वर कि कृपा से विजयी होकर उभरता हैं |
- तुम उसे धोखा देते हो और वह, मिस्त्र मे चला जाता हैं |
- आप मिस्त्र कि यात्रा करे, और ओ वहाँ का प्रधानमंत्री हैं |
- आप उसे धोका देणे कि कोशिश करते हैं, और वह पालटकर आप को माफ कर देता हैं |
युसूफ हमेशा हमेशा अपने पैरो पर खडा रहता हैं | यह एक ऐसा व्यक्ती हैं जो परमेश्वर पर सरवोच्च विश्वास के द्वारा संकट पर विजय प्राप्त करता हैं | यद्यपी वह अत्यन्त अव्यवस्तीत परिवार से आया था, फिर भी परमेश्वर ने उसे नायक मे बदल दिया जिसने उस परिवार को मुक्त किया जिसने उसे गुलामी मे बेच दिया था |
वह परमेश्वर कि योजना कि शृंखला मे एक महत्वपूर्ण कडी हैं :
परमेश्वर कि योजना कि शृंखला मे एक महत्वपूर्ण कडी बन गयी जो 2000 साल बाद मसिह को धरती पर लायेगी | जैसे युसूफ ने अपने परिवार को बचाया, वैसे ही मसिह दुनियाके उद्धार करता के रूप मे आयेंगे |
क्या आदमी हैं, क्या कहानी हैं |
युसूफ के जीवन का अध्ययन करणे मे….
- हम जीवन के बारे मे जनेंगे | यह इसी तरह काम करता हैं | हमे यह उम्मीद करणी चाहिए हम मेसे किसी के लिए भी जीवन आसान नही हैं और हममे से ज्यादा तर लोगो के लिए यह काफी मुश्किल हो सकता हैं | दुसरे शब्दो मे कहे तो, आसान जीवन कि तलाश करने वाले किसी भी व्यक्ती ने जन्म लेने के लिए गलत ग्रह चुना हैं|
जीवन कठीण हैं :
जाने कि यह जीवन हमारे भले के लिए कैसे काम करता हैं | स्पर्जन ने टिप्पणी कि कि ” परमेश्वर को छोटी – छोटी चिजो मे देखा जा सकता हैं ” | क्यूँकी परमेश्वर स्वयंम अपने द्वारा बनाये गये ब्रह्मांड के पीछे खडा हैं, इसलिये हमे हर जगह, यहा तक कि जीवन के सबसे छोटे विवरनो मे भी उसके निशान देखकर आश्चर्य नही होना चाहि
हम सिखेंगे कि मसिह किस तरह सार्थक बनाने कि शक्ती हैं | ध्यान दे कि मैने यह नही कहा कि मसिह के पास शक्ती हैं, जो सच हैं, बल्की यह कि मसिह शक्ती हैं, जो थोडा अलग हैं | क्यूकी मसिह स्वयं हमारे अंदर रहता हैं, वह स्वयं वह शक्ती हैं जो जीवन को अर्थ और उद्देश देती हैं |
जैसे कि हम अपने अगले अध्ययन मे देखेंगे, नायक एक अव्यवस्तीत परिवार कि उथलं – पुथलं से उभरता हैं | उसके भाई उसे पसंद नही करते | क्षितिज पर मुसीबत हैं |
एक यह उतार चढाव भरा सफर होने वाला हैं :
युसूफ ने साबित किया कि आप एक पागल मिश्रित परिवार से आकार भी प्रभू के लिए अद्भुत काम कर सकते हैं | लेकिन यह आसान नही हो सकता | यह युसूफ और हमारे लिए एक उतार चढाव भरा सफर होगा |
देखते राहिये बहुत कुछ आने वाला हैं | आप विश्वास नही करेंगे कि उसके भाई उसके साथ क्या करते हैं |
जब हम युसूफ से विदा लेते हैं, तो यह याद रखें | उसका परमेश्वर हमारा भी परमेश्वर हैं | हमे एक बडे परमेश्वर कि जरुरत हैं और हमारे पास एक हैं | इस सप्ताह इस विचार से अपने दिल कि ताकत दे |
How To Buid Your Faith- अपने विश्वास को मजबूत कैसे करे? – Hindi Bible Study onlin: Hindi Bible Study – The Hero Rises – नायक का उदय